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भारत ने श्रीलंका को 2-0 से हराकर वनडे सीरीज पर कब्जा कर लिया, टीम इंडिया ने 26वीं बार श्रीलंका को अपनी जमीन पर सीरीज हराई

भारत ने श्रीलंका को 2-0 से हराकर वनडे सीरीज पर कब्जा कर लिया है। पर इस जीत के बावजूद वर्ल्ड कप से पहले टीम कॉम्बिनेशन पर कुछ सवाल खड़े हुए हैं। सबसे पहले तो यह है कि श्रीलंका भारत में कभी द्विपक्षीय सीरीज नहीं जीत सका है। चाहे टेस्ट क्रिकेट हो, वनडे क्रिकेट हो या T-20 क्रिकेट! इस दफा वनडे सीरीज जीत के साथ टीम इंडिया ने 26वीं बार श्रीलंका को अपनी जमीन पर सीरीज हराई है। यह तो रही रिकॉर्ड्स की बात…!

अब सवाल यह खड़ा होता है कि ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव जैसे खिलाड़ियों को बेंच पर बिठाने के बाद जो टीम मैदान पर उतर रही है, क्या यही टीम भारत को वर्ल्ड कप दिला सकती है? आइए, इस सवाल का विस्तार से जवाब ढूंढते हैं।


जब 39.4 ओवरों में श्रीलंका केवल 215 पर निपट गई, तो हर इंडियन क्रिकेट फैन का स्वाभाविक रिएक्शन था कि अधिकतम 30 ओवरों में भारतीय टीम यह टारगेट हासिल कर लेगी। विकेट पर भी कुछ ऐसा खास दिखाई नहीं पड़ रहा था, जो गेंदबाजों को मदद पहुंचा सके। पर हुआ यह कि भारत को लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 43.2 ओवर्स लगे।

इस बीच टीम इंडिया ने 6 विकेट गंवा दिए और एक वक्त ऐसा भी आया, जब लगा कि भारत यह मैच हार जाएगा। वैसे तो ईडन गार्डन रोहित शर्मा का फेवरेट मैदान है, लेकिन करुणारत्ने के पांचवें ओवर की अंतिम गेंद आउटसाइड ऑफ लेंथ बॉल थी। बगैर किसी फीट मूवमेंट के हिटमैन ने बॉल को चेज किया और विकेटकीपर को कैच थमा बैठे। भारत को 33 के स्कोर पर पहला झटका लगा। टारगेट कम था, तो रोहित शर्मा बगैर किसी दबाव के खेल रहे थे। ऐसे में उनका आउट होना समझ आता है।

पर छठे ओवर की तीसरी गेंद पर लाहिरू कुमार के खिलाफ शॉर्ट आर्म जैब पुल खेलकर शुभ्मन गिल का विकेट फेंक देना सवाल खड़े करता है। सिंपल लेंथ बॉल आउट साइड ऑफ़ पर गिल खुद को अपना पसंदीदा शॉट खेलने से रोक नहीं सके और शॉर्ट मिडविकेट फील्डर के हाथों में कैच थमा बैठे। उन्होंने जरूर 5 चौकों की मदद से 12 गेंदों पर 21 रन बनाए, लेकिन वह गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलकर वापस लौटे। इसका नतीजा यह हुआ कि कंफर्टेबल रन चेज में 41 के स्कोर पर दूसरा विकेट खोकर टीम इंडिया मुश्किल में आ गई।

जब तक चेज मास्टर विराट कोहली बीच मैदान थे, टेंशन की बात नहीं थी। पर तभी लाहिरू कुमार के दसवें ओवर की तीसरी गेंद जो लेंथ बॉल आउटसाइड ऑफ थी, टप्पा खाने के बाद तेजी से अंदर की तरफ आ गई। गेंद हल्की नीची भी रही। नतीजा इनसाइड एज के साथ बॉल स्टंप पर जा टकराई। 62 के स्कोर पर भारत को तीसरा झटका लग गया।

 

अब बल्लेबाजी की जिम्मेदारी उन श्रेयस अय्यर के कंधों पर थी, जिनको सूर्यकुमार यादव की जगह वनडे इंटरनेशनल टीम में शामिल किया गया है। उन्होंने केएल राहुल के साथ 35 गेंदों पर 24 रन जोड़े। फिर इसके बाद 15वें ओवर की दूसरी गेंद पर रजिता के यॉर्कर को गलत लाइन पर खेल गए। श्रेयस लगातार दूसरे मुकाबले में 28 रन बनाकर वापस लौटे और इसी के साथ 86 के स्कोर पर टीम इंडिया को चौथा झटका लग गया।

अगर श्रीलंका के अलावा कोई बेहतर गेंदबाजी आक्रमण होता, तो क्या भारत को यहां से आसानी से मुकाबला जीतने देता? अगर विश्वकप में ऐसी परिस्थिति हो जाती है, तो फिर क्या वहां से हर बार केएल राहुल को 93 गेंदों पर अर्धशतक लगाना पड़ेगा? हकीकत यह है कि सलामी बल्लेबाजी और मिडिल ऑर्डर में अभी भी परिवर्तन की गुंजाइश है।

जिस खिलाड़ी ने अपने पिछले इंटरनेशनल मुकाबले में क्रिकेट इतिहास के किसी भी फॉर्मेट में सबसे तेज 843 गेंदों पर 1500 रन बनाने का कारनामा किया हो, उसे वनडे टीम से नजरअंदाज किया जाना सरासर अन्याय है। वनडे करियर की अपनी 15 पारियों में अब तक सूर्यकुमार यादव ने 384 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 41 चौके और 6 छक्के आए हैं।

अगर सूर्यकुमार यादव को निरंतर इस फॉर्मेट में खेलने का अवसर दिया जाएगा, तो वह अपने दम पर भारत के लिए मैच बदलकर दिखाएगा। वाइट बॉल से खेले जाने वाले T-20 इंटरनेशनल में जिस बल्लेबाज ने 43 पारियों में 180 की स्ट्राइक रेट से 1578 रन बना दिए हैं, कोई शक नहीं कि वनडे में भी वह ऐसा ही कारनामा दोहरा सकते हैं।

 

आज जिस ईशान किशन को बेंच पर बिठाकर उसका हौसला तोड़ा जा रहा है, उसने भारत के लिए खेले गए अपने आखिरी वनडे में दोहरा शतक जड़ा था। अगर डबल सेंचुरी बनाने वाले प्लेयर को आप लॉन्ग रन नहीं दे सकते, तो फिर किसी के चोटिल होने पर बीच में 1-2 मुकाबले देकर उससे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करना भी अन्याय होगा।

ईशान शिखर धवन की जगह लेफ्ट राइट कॉम्बिनेशन के सबसे प्रबल दावेदार हैं। पर उन्हें अवसर ना देना समझ से परे है। सूर्यकुमार यादव वह बल्लेबाज हैं, जिन्होंने पिछले 6 महीनों में मिडिल ऑर्डर में खेलते हुए इसी व्हाइट बॉल से 3 शतक बनाए हैं।

अगर सूर्या परफॉर्म कर देंगे, तो मुकाबले को एकतरफा करके दिखाएंगे। फिर भारत को 216 का टारगेट हासिल करने के लिए 43.2 ओवरों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। साल के अंत में वर्ल्ड कप है और ऐसे में हर मैच खिलाड़ियों को भारतीय वर्ल्ड कप टीम का दावेदार बनाएगा।

अगर ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव को अभी खेलने नहीं दिया जाएगा, तो निश्चित है कि उन्हें वर्ल्ड कप में भी नहीं लिया जाएगा। श्रीलंका से जीत के बावजूद इंडियन टीम मैनेजमेंट को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। ईशान और सूर्यकुमार यादव को प्लेइंग XI में चुना जाना चाहिए।

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